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लेखनी कविता -23-Aug-2022" हाथों में लगी मिट्टी "

जो  नाकाबिल ए बर्दाश्त है हमें, वही हरकत कर रहे हैं। 

अपने  गुनाहों पर  वो  पर्दा डालने की, जुर्रत कर रहे हैं। 
जिनके  खुद के हाथ सने हुए हैं कई मासूमों के खून से, 
वो लोग मेरे हाथों में लगी मिट्टी से यूँ नफरत कर रहे हैं। 

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2 Comments

shweta soni

24-Aug-2022 09:28 AM

बहुत खूब 👌

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Gunjan Kamal

24-Aug-2022 08:46 AM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌👌

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